भोजन का स्वाद-रहेगा याद
भोजन का स्वाद-रहेगा याद
अविस्मरणीय हैं होते कुछ दिन, और यादें कुछ होतीं हैं बड़ी ही खास।
करते याद उन्हें हम जब भी करते, तब होता है बड़ा अज़ब अहसास।
प्रतिदिन भोजन हम सब हैं करते, हो उत्कृष्ट यह सतत् ही प्रयास।
कुछ परस्थितियाॅ॑ ऐसी हैं बनती, जब हो जाता यह एकदम खास।
सदा याद रहने वाला है वह दिन, जिसे कभी नहीं सकते हैं हम भूल।
वन विहार गत वर्षों की तरह मनाने, पहुॅ॑चा था अपना ही पूरा स्कूल।
पास का जंगल चुना गया था, वन -विहार हमने जहाॅ॑ मनाना था।
आम दिनों के भोजन से हटकर, दाल-बाटी हम सबने खाना था।
विद्यार्थी तो सब खेल-कूदकर, जम कर ही मौज मनाएंगे।
बहु शारीरिक क्रीड़ाएं करके, विशेष व्यंजन आज वे खाएंगे।
आचार्य करेंगे गतिविधियों का अवलोकन, कुछ ऐसी थी योजना हमारी।
दाल-बाटी बनाना इसी अवधि में, थी कुछ स्वयंसेवकों की जिम्मेदारी।
आचार्य और बच्चे पहुॅ॑चे पहले, उन सबने मिलकर बड़ा आनंद मनाना था।
स्वयंसेवक आएंगे पीछे से क्योंकि उन्होंने, सब सामग्री को भी तो जुटाना था।
हुए प्रफुल्लित सारे बच्चे, अब उनकी खुशी तो थी बेहिसाब।
स्वयंसेवक पहुॅ॑चे थे आधे रास्ते, उनकी गाड़ी तो हो गयी खराब।
बिलम्ब बड़ा हुआ भोजन प्रबंध में, चूहों का पेट में बुरा हाल था।
बाटी चाहे तनिक जली भी थी, पर स्वाद तो उसका बेमिसाल था।
जीवन में जीमे भोजन है स्वाद ज़ुदा है, कहते थे वहाॅ॑ पर सभी जने।
मज़ा आ गया बड़ा आज तो, और आज बन गईं जलेबी सभी चने।
भोजन के उपरांत मजे से, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर चला।
अविस्मरणीय भोजन था वन-विहार का, कोई न दूजी राय भला।
