Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Brajendranath Mishra

Abstract

3  

Brajendranath Mishra

Abstract

बहना के दिल में रहना

बहना के दिल में रहना

1 min
72


भैया तुम जाओ दूर देश पर,

बहना के दिल में रहना।

तुम्हे न होगा याद मगर

मेरे में मन में बसी हुई हैं

बचपन की यादों की छाया।

धींगा मस्ती, दौड़ा दौड़ी,

गलती करना, फिर दुहराना,

पापा के डाँट के डर से

माँ के पल्लू में छुप जाना।

छत पर जाना, पतंग उड़ाना,

पतंग अगर कट जाए तो,

एक नया फिर पतंग बनाना।

साथ लिए बचपन की यादें,

मैं आ गई अपने घर जैसे,

एक पराये घर में।

यहाँ नहीं वह धींगा मस्ती,

नहीं वहां का मस्तनापन।

मर्यादाओं में बाँध दी गई,

पाना नहीं मगर फिर भी देना है, 

बस देना है,सबको अपना अपनापन

मैं भी लेकर बैठ गई

तुझे सुनाने अपनी कहानी।

दुखी नहीं होना तुम सुनकर

मैं सुख से हूँ, हरी भरी हूँ,

नहीं कहीं है वीरानी।

एक मेरी ,बस विनती 

मेरी माँ पापा की उम्र हो गई,

उनके संघर्षो की कहानी

नई आई भाभी से कहना,

कैसे वे फांके करके भी

हमें दे सके राह नई

जीने को अपना सपना।

उनको कोई क्लेश नहीं हो

हम सब उन्हें विश्वास दिला दें।

जी तो नहीं सके वे जीवन

मर तो सकें चैन से सुख से,

उनको यह अहसास करा दें।

इन्ही भावों को धागों में पिरोकर

भेज रही हों मैं ये राखी

रोड़ी को माथे पे लगाकर,

बांध कलाई पर ये राखी।

याद कर लेना इस बहना को

मन में कोई बात न रखना

भले बसे हो दूर देश पर

बहना के दिल में रहना।

बहना के दिल में रहना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract