भगवान महावीर
भगवान महावीर
भगवान महावीर को करते हम कोटि-कोटि प्रणाम।
इनके स्मरण से हिंसा का मिट जाता नामोनिशान
जैसे उजाले के सामने अंधेरे का निकल जाता प्राण
वैसे ही इनके स्मरण से झूठ की निकल जाती जान
माता त्रिशला के लाडले,पिता थे इनके सिद्धार्थ,
बचपन मे सब प्यार से आपको कहते थे वर्धमान
भगवान महावीर को करते हम कोटि-कोटि प्रणाम।
आपने दिया हमे जिओ और जीने दो का सिद्धांत
जैनियों के थे आप अंतिम और 24वें तीर्थंकर,
वीरता के कारण आप कहलाये महावीर भगवान
सत्य,अहिंसा,अस्तेय,ब्रह्मचर्य,अपरिग्रह ज्ञान दिया,
सबको सिखाया बिना मानवता व्यर्थ है,सब ज्ञान
भगवान महावीर को करते हम कोटि-कोटि प्रणाम।
अहिंसा पथ पे चलनेवाला न होता कमजोर इंसान
इंद्रियां वश में करो,इनके कहे अनुसार मत चलो,
इंद्रियों की वजह से मनु भूल जाता अच्छाई तमाम
आज के दिन चैत्र-त्रयोदशी को प्रण लो सब इंसान,
महावीर के आदर्शों को जरूर अपनाएंगे हम इंसान
भगवान महावीर को करते हम कोटि-कोटि प्रणाम।
इनके जलाये दीप से हिंसा का मिट रहा नामोनिशान
ये धरती फिर से स्वर्ग जैसी होगी सुंदर परिस्तान,
शेर और गाय पानी पिएंगे एक ही घाट पर आम,
गर सुधर जाये,महावीर के आदर्श अपनाये इंसान,
वो दिन दूर नही,जब धरती बन जाएगी गुलिस्तान
हर आदमी बन जायेगा,धरती का महावीर भगवान,
यदि वो इंद्रियों को काबू कर बन जाये जितेंद्रिय इंसान
भगवान महावीर को करते हम कोटि-कोटि प्रणाम,
जिन्होंने खुद को पहचानने का दिया हमे परम् ज्ञान।