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Prafulla Kumar Tripathi

Abstract

4.0  

Prafulla Kumar Tripathi

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भाषा उसकी मौन

भाषा उसकी मौन

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326


अपनी व्यथा खुदी से कहता,

आखिर मितरा कौन ?

कागज़, कलम, ना स्याही - दावात,

भाषा उसकी मौन ! !


''तुम कुछ बोले क्या ?'' वह बोला,

मुंह चादर में ढंके ही बोला।

क्या ? सुरसती का आसन डोला,

आजा, लेकर उड़न खटोला।।


सन्नाटी सिलवटों के पीछे

आखिर भाषा कौन ?

कागज़, कलम , ना स्याही - दावत,

उसकी भाषा मौन ! !


नदी उबासी क्यों लेती है,

नाव उलट कर क्यों लेटी है ?

मछली, मचल, इठल, विह्वल है,

प्रलय सी आहट बुन लेती हैं ! !


दबे पाँव सूरज सा उतरा,

जाने आज है कौन ?

कागज़, कलम, ना स्याही - दावात,

भाषा उसकी मौन !!


उलझन में गलियाँ - चौराहे,

कोई किसी को नहीं पुकारे।

कहां छिप गए वे हरकारे ,

चिल्लाते थे सांझ सकारे।।


पसर गए इस सन्नाटे से

धूमिल हुआ है कौन ?

कागज़, कलम ना स्याही -दावात,

भाषा उसकी मौन।।



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