भारतीय जनतंत्र
भारतीय जनतंत्र
जनतंत्र में आवाम, मत दे नेता चुनता है।
भरोसे से , राजधानी की राह दिखाता है।
वाक् पटु- चतुर मेरे नेता चयनित होते हैं।
संकल्प- आस्वासनों से मंत्रमुग्ध करते हैं।
पहली बार माना ताम-झाम देख होता हो।
पाँच साल अवहेलना मौज ऐश करता हो।
कर का बोझ बढ़ा कर मुस्टण्डा होता हो।
प्रगति अपनों के हिसाब से हीं करता हो।
अपनों को ओहदा, अपना घर भरता हो।
अगली बार जब, मत खातिर ललुआएगा।
कौन? उस भ्रष्ट को खाट पर बैठा पाएगा।
नैतिकवान-नेक अबकी गद्दी पर जायेगा।
वरना जनतंत्र की परिभाषा बदल जाएगी।
भोली जनता मुर्ख बन भीड़ देख जाएगी।
अर्थशास्त्री मुर्खवाद व भीड़वाद समझते।
सक्षम, नैतिकवान, कर्मठ, प्रतिनिधि होते।
जनता जनार्दन पूजनीय, प्रगतिशील होते।
भारतीय जनतंत्र में, मत दे नेता चुनता है।
भरोसे से , राजधानी की राह दिखाता है।।