विरासत
विरासत
आपने हमको पाला,
दिया जीवन-जूंण,
जीना सिखाया।
संघर्षों से जूंझना,
अडिग,
हर हार के बाद,
फिर-फिर जीत के पथ पर
तिमिर तोड़, उजास-मग पर,
अदम्य साहस लिए
चलना बताया।
कहा कम
पर हर असम्भव
सम्भव कर दिखाया।
लिए जिजीविषा,
खम्भ ठोक,
चुनौती ठेलने का हुनर
साकार सिखलाया।
रहे पीछे
गुमनाम से,
आगे, आगे और आगे
हमको बढाया।
हर सफलता
हर जीत के रथ की
वल्गाएं
रही आपके अदृश्य
कर की अंगुलियों पर
जोड़-जोड़ तिनके
बसेरा बसाया।
हटाया हर बाधा को
अपनी जौक का
जिद का
बुना ताना-बाना
विधि की लेखनी को
कर्म-भेदिनी से बेध
संसार सपनों का सजाया।
आपने हमको बनाया......
..................... ।
आपके गले की माला,
और माला में पिरोया ठाळा,
साथ सोने का यह फूल!
परिवार की है सम्पदा...विरासत,
माँ ने कहा- सम्हाळ,
कर शिरोधार्य-
मैंने हिंए पर ढाळा।
