एक युद्ध के मैदान सी
एक युद्ध के मैदान सी
मुझे
मारते हैं वह
और फिर रोते हैं ऐसे
जैसे मैंने न जाने
उन्हें कितना सताया और
बुरी तरह से पीटा है
सामने पड़ो तो
मुश्किल
कहीं छिपकर बैठ जाओ तो
दम घुटता है
बात करो तो
झगड़ा होता है
न करो तो
दिल तन्हा रोता है
किसी से शिकायत
करो तो
अपने ही घर का
भांडा फूटता है
कोई कुछ गलत कर
बैठे तो
अपना ही नुकसान होता
है
बोलो तो बात
बिगड़ती है
न बोलो तो
दिलों के बीच की दूरी
बढ़ती है
आदर सत्कार करो तो
वह भी एक दुत्कार सी
लगती है
प्यार से बात करने की
कोशिश करो तो
जोरों से फटकार सुनने को
मिलती है
यह जो कुछ भी
घटित हो रहा है
इसके पीछे
विकृत मानसिकता,
समझदारी में कमी,
लोगों की बातों में आ जाना,
दुनियादार न होना,
अपरिपक्व बुद्धि जैसी बहुत
सारी बातें हो सकती हैं पर
ऐसे लोगों का सामना करना
और उनसे रिश्ते निभाना
इस जीवन का
एक बहुत बड़ा चुनौतीपूर्ण
कार्य है
अपने पर अंकुश लगाते हुए
ऐसी विषम परिस्थितियों पर विजय पाना
सच में
एक सराहनीय कृत्य है
ऐसी छोटी छोटी सफलताओं पर
अपनी पीठ अवश्य ठोकनी
चाहिए
यह घर और
यह घर से बाहर की
दुनिया
हर परिस्थिति ही
एक युद्ध के मैदान सी है
एक योद्धा का नेतृत्व
उसकी कुशलता
उसकी कारीगरी
उसका साहस
उसका धैर्य
उसका अनुभव
उसका मार्गदर्शन
उसकी युद्ध कला
उसकी बुद्धि
उसका संयम आदि
सच में
उसे युद्ध में जीत दिलाने
के लिए
सहायक अंगों के रूप में
कारगर सिद्ध होते हैं।