जिंदगी
जिंदगी
प्यार जिन्दगी का नाम है,
नफ़रत मौत का फरमान !
इमान-धर्म गर ना रहा,
किस पर कर रहा गुमान !
जनाजा न उठने दो अभी,
कुछेक साँसें अभी बाकी हैं।
गफ़लत में सुलाया ताबूत में,
धड़कनो के तार अभी बाकी हैं।।
जिन्दगी अभी और बाकी है।
शायर मरा है न कभी,
आखिरी पन्ना किताब का;
लिखना अभी दोस्तों बाकी है।।