भारत माँ का लाडला
भारत माँ का लाडला
भारत माँ का लाढला गोली और लाठी खाएगा।
जहर मिला दूध खा कैसे? हरित क्रांति लाएगा।।
मुगलिया सल्तनत ने, भारत को हिन्दुस्तान बनाया।
फिरंगियों ने भारत को,
इंडिया का जामा पहनाया।
ज़जीरें टूटी, सहादत मुस्कराई।
शकुन्तला के लाडले भारत को,
अब तो याद करो मेरे भाई!
तहज़ीब तुमने मुकम्मल,
पाकर क्यूँ? आन मिट्टी में मिलाई।
बूजुर्गों का नाम तूनें ख़ूब चमकाया।
माना कृष्ण- ख़ुदा-ईसा-गुरुओं की,
प्रतिमा बना सजा फूल चढ़ाया।
सिन्धु पार कर सारे देश पर आर्य छाए।
अनार्यों को नित दिन रास-रंग में भरमाए।
एक पत्तल में सुबहा-शाम खा ज़श्न मनाये।
आधी-पूरी परम्पराओं को ख़ूब निभाये।
कभी खिचड़ी, कभी सेवई, चखे-चखाये।
जिन्ना अब्दुल कलाम की दूरी, बख़ूब निभाये।
मज़हब की दीवारें उठा धरा खून से पटाये।
भाई-भाई में दुधारी तलवारें हर रात चलाये।
नेताओं के गुर्गो ने खोटी चाँदी चमकाई।
अमीरों की गुदामें छतों तक भर ग़रीबी आई।
देख सड़न, आई उबकाई।
हाय-हाय न करो मेरे भाई।
मत बोलो,
क्यूँ यह महँगाई आई ?
कद्र करो अपने वतन की,
जतन करो माँ के चीर-हरण का।
बिखरे टुकड़ों को तुम अब तो जोड़ो।
जाती-रंग-भेद की दीवारों को तोड़ो।
नफ़रत की आग़ कानों में नहीं फूँको।
शहीदों की कुर्वानी का गीत गुँजाओ।
अब तो ज़ेहाद के पन्नों को जलाओ।
वतन के वज़ूद को बचाना हीं होगा।
माँ के दुघ का क़र्ज़ चुकाना हीं होगा।
पुराने दस्तूरों को निभाना तो होगा।
वर्ना फिर से गुलाम बन जाना होगा
जंजीरों में जकड़ अश्क बहाना होगा।
देश-द्रोह का मुकदमा होगा दायरा।
बिन मौत सबको मर जाना होगा।
अहसान-फ़रामोश नाक कटाना होगा।।