भारत मां के लालबहादुर
भारत मां के लालबहादुर
शुचिता त्याग वीरता साहस,
की अनुपम प्रतिमूर्ति महान।
भारत मां की थे वह अद्भुत,
सेवा भावी प्रिय सन्तान।
पाक ने जब भारत पर आकर,
एकाएक की चढ़ाई।
प्रबल युद्ध कर सेना ने फिर,
उसको धूल चटाई।
अमरीका ने भी भारत को,
अपनी आंख दिखाई।
जय जवान जय जय किसान की,
शास्त्री अलख जगाई।
हुई सुरक्षित सीमाएं,
खेतों में फसल लहराई।
छाती फट गई अमरीका की,
उसने मुंह की खाई।
जाति धर्म संकीर्ण भाव से,
ऊपर था वह रखवाला।
इसीलिए निज जाति त्याग,
शास्त्री कहलाए मतवाला।
आपस में मिल रहो प्रेम से,
हम सब को सिखलाए।
विश्व गुरु हो भारत जग में
ध्वज त्रिवर्ण लहराए।