भारत मां के लाल
भारत मां के लाल
"भारत मां" के लाल थे, आज़ादी के थे दीवाने।
अंग्रेजों से न घबराए, ऐसे थे परवाने।
निर्भीक, निडर, साहसी वो जवान थे
राष्ट्र को एक किया, "भारत मां" की वो शान थे।
"तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा"
गूंज रहा यही इक नारा था, "भारत मां" का सपूत "ये" न्यारा था।
युवा जोश साथ था, "आज़ाद हिंद" की प्रेरणा साथ थी।
रगों में उबाल मारता लहू था, "इंकलाब" की आग साथ थी।
"राष्ट्रभक्ति" की थी अग्निपरीक्षा,
देनी थी "सत्य और अहिंसा" की दीक्षा।
सच्चा सपूत था "मां" का, हंसते-हंसते बलिदान दिया।
बसंती चोले में, "मां" को अर्पण अपना "शीश" किया।
"आज़ाद भारत" की परिकल्पना के सूर्योदय बने,
हर युवा के आदर्श बने, वीरता की मिसाल बने।
ऐसे थे मतवाले,
भारत मां के लाल थे, आज़ादी के थे दीवाने।
