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Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract

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Jalpa lalani 'Zoya'

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भारत के खेत

भारत के खेत

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मेरी कविता का कागज़ जैसे लग रहा भारत का खेत

चल रही कलम कागज़ पर जैसे खेत पर चल रहा हल


दिल के अल्फाज़ों को उतार रही कागज़ पर

जैसे बोता है किसान बीज अपने खेत में

भारत के खेत पर लिख रही हूं कविता


पहला शब्द लिखा कोरे कागज़ पर

जैसे बोया गया पहला बीज खेत में


लफ्ज़-लफ्ज़ लिखते गई कविता आगे बढ़ रही

बीज-बीज किसान बोता गया पूरा खेत भर रहा

भारत के खेत पर लिख रही हूं कविता


कलम की स्याही खत्म हो रही उतर गई मेरी कविता में

किसान की मेहनत और पसीने से

फ़सल निकल आई खेत में

कविता में दिख रहे अल्फाज़

जैसे खेत में लहलहाते पाक


भारत के खेत पर लिख रही हूं कविता

मेहनत दोनों की दिख रही कवि हो या किसान

है दोनों की पहचान कविता हो या खेत


अनाज का फल मिलता जब वो बिक जाता है

कविता की ख़ुशी मिलती जब आप पढ़ते है

भारत के खेत पर लिख रही हूं कविता


खेत ही है किसान का असली धन

मेरी कविता है मेरा दिल मेरा मन।


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