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ananya rai

Inspirational Others

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ananya rai

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भारत अनुबोधान

भारत अनुबोधान

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जहाँ ताज सजे सिर भारती के,

जहाँ सुबह हो माँ की आरती से।।


जहाँ अंगीकृत हो हर रंग-रूप,

जहाँ अंतस्तल में अनुराग पले।।


जहाँ अंशुक ओढ़ मही ले अँगड़ाई,

जहाँ अंबुद शंखनाद करे।।


जहाँ गार्गी, मैत्रेयी सी ब्रह्म वादिनी,

द्रौपदी, गांधारी पत्नी रूप धरे ।।


जहाँ अकूत विविधता वाणी में,

जहाँ अनमोल हर मज़हब जात लगे।।


हूँ करवाती अनुबोधान उस भारत का,

जो रिपु का रिश्ते में बाप लगे ।।


जहाँ हुए पुत्र भीष्म, अर्जुन ,कृष्णा से,

जहाँ पैदा महाबली हनुमान हुए।।


जहाँ दिया जन्म भागीरथी बाई ने मर्दानी को,

जहाँ चरण पखारता निरंतर रत्नेश मिले।।


जहाँ अनुरूपता है जन-जन में,

जहाँ अनुरंजित हर इंसान मिले।।


जहाँ मुकुट हिमालय है बन खड़ा,

जहाँ प्रहरी चारों ओर लगे।।


जहाँ बेटी है दुर्गा सी अपराजिता,

जहाँ बालक विवेकानन्द सा महान मिले।।


हूँ करवाती अनुबोधान उस भारत का,

जिसका अपरिमित, अपरिमेय स्वर्णिम इतिहास मिले।।


संदेश :-

  "सुनो अपवाद लगाने वालों

   ये अपलक्षण छोड़ दो ।।

    

   अगर अभिगात है अभिग्रहण का,

   तो अब जागो ये सपना तोड़ दो।।


  वरना उठा लिया जिस दिन प्रत्यंचा

   काल प्रत्यक्ष दिखाई देगा ।।


  और उठ रहे ख़िलाफ़त में जो सिर

  सब इला पर पड़ा दिखाई देगा ।


 तब मत कहना की न सचेत किया

 की बाप से पंगा तबाही देगा ।।



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