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Krishna Khatri

Romance

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Krishna Khatri

Romance

बहारेमौसम

बहारेमौसम

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दादुर मोर पपीहा बोले

छन-छन घुंघरू छनके 

खन-खन चूड़ी खनके

गाए गीत कोयलिया 


छम-छम नाचे परियां 

आ रहा है सुनहरा मौसम

इस मौसम में

खिलता है वसंत !


जो दिल की वादियों का 

है बहारेमौसम 

अब तो तुम भी 

आ जाओ सजन

पुकारे मेरा मन !


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