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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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बहानेबाज लोग

बहानेबाज लोग

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बहाने बनानेवाले कभी कामयाब नही होते हैं

बहाने बनानेवाले कभी अक्लमंद नही होते हैं

वो आलसी लोग,बैठे-बैठे ही ख्वाबो में सोते हैं

बहाने बनानेवाले हमेशा से कामचोर होते हैं


उनकी जिंदगी बुराई निकालने में गुजर जाती हैं ,

बहाने बनानेवाले हमेशा बुराई के गाने होते हैं

वो आईने भी उन्हें देख बहुत ही शर्मिंदा हैं ,

जिनके हृदय बहाने से लबालब भरे हुए होते हैं


बहाने बनानेवाले रेत से बने हुए घरौंदे होते हैं

वो काम करने से हमेशा से बचना चाहते हैं ,

बहानेबाज लोग ख़ुद के शरीर का बोझ ढोते हैं

बहानेबाज लोग शीशे की झूठी तस्वीर होते हैं


वो खुदा भी बहानेबाज लोगो से बड़ा परेशान हैं ,

ये बहानेबाज लोग अपनी जमीं के लूटेरे होते हैं

बहानेबाज लोग बिना मूंगफली छिलके होते हैं

कर्म करानेवाले ही यहां रोशन कोहिनूर होते हैं


बहानेबाज लोग साँप से ज्यादा विषैले होते हैं ,

तू ज़रा बचकर निकलना ऐसे सरफिरे लोगो से,

बहानेबाज लोग खून पीनेवाले शैतान होते हैं

इनसे दूरी रखनेवाले ही जग मे महान होते हैं!




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