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Varsha abhishek Jain

Tragedy

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Varsha abhishek Jain

Tragedy

भाई ना जाओ

भाई ना जाओ

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तुम्हें यूं जाने का हक किसने दिया

यूं हमें रुलाने का हक किसने दिया।

जाना था तो चले जाते बेशक हमारी

जिंदगी से

ज़िन्दगी छोड़, दुनिया से जाने का

हक तुम्हें किसने दिया।


लड़ लेते, झगड़ लेते,

दो पल की मोहलत मांग लेते उस ख़ुदा से,

यूं हमें तड़पाने का हक तुम्हें किसने दिया।

बहुत शौक था तुम्हें सबको चौंका देने का,

हमसे आँख मिचौली का हक तुम्हें किसने दिया।


लौट आओ ना,यूं ना जाओ ना

यूं रूठ कर ना जाओ ना।

हमारी जिंदगी को बेजान बनाने का

हक तुम्हें किसने दिया।


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