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Varsha abhishek Jain

Others

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Varsha abhishek Jain

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माँ तुम बहुत याद आती हो

माँ तुम बहुत याद आती हो

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यूँ तो कमी नहीं ससुराल में,

पर एक कमी तो खलती है,

तेरी आवाज़ के बिना,

आँख कहाँ माँ खुलती है


आठ बजे उठने वाली चिड़िया,

जब पांच बजे उठ जाती है

सच कहूं माँ तेरी याद

बड़ी आती है


जब सब के लिए चाय

बनाती हूँ,

तो यही ज़हन में चलता है,  

तेरे लिए कुछ मैंने

किया नहीं,

आज मुझे वो खलता है,


सारे घर की जिम्मेदारी

आज मुझे दबाती है

सच कहूं माँ तेरी याद

बड़ी आती है


हाँ, कहा था मैंने तेरे पास

कभी ना आउंगी,

तू इतना मुझे डांटती है

तुझ से दूर मैं चली जाउगी,


सासू माँ के प्यार में भी

तेरी सूरत नहीं दिखती है,

सच कहूं तो माँ बस याद

बड़ी तू आती है...


जब घर के सारे कामों में

माँ मैं थक जाती हूँ,

तेरी लोरी गोदी का सुकून

कहाँ मैं पाती हूँ, 


इस चमक दमक के आगे

अब अपनी कुटिया भाती,

सच कहूं माँ ,तेरी याद

हमेशा आती है...


माफ़ करना माँ तेरा दिल

दुखाया है, 

तुझसे दूरी मुझे, तेरे ओर

पास ले आया है


जल्दी बुला लेना माँ तेरी

बिटिया लिखती है

क्यूँकि माँ तेरी याद

बहुत ही आती है



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