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Antariksha Saha

Abstract

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Antariksha Saha

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बगरस निगाहें तेरी

बगरस निगाहें तेरी

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बगरस निगाहें तेरी

आँखों की सुराही तेरी

करती हैं क्या बातें साहेबान

 

मन की दुआ इन मेरी

रूबरू न आएं तेरी

करती हैं क्या बातें साहेबान

 

जुस्तजाजु मेरी वह ही हैं

रूबरू कैसे हो सकूँ

उसको बता दे साहेबान

 

बगरस निगाहें तेरी

आँखों की सुराही तेरी

करती हैं क्या बातें साहेबान।


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