बेवफ़ाई (चार बन्द)
बेवफ़ाई (चार बन्द)
बन्द एक—
न पाट पाई, तेरी उल्फ़त,
वफ़ा की होती, ये गहरी खाई !
न कर सकेगी, वफ़ा को ज़िन्दा,
ये बरसों-बरसों, की बेवफ़ाई !!
बन्द दो—
हज़ार घातें, सहते-सहते,
नज़र ने जाना, मुहब्बत क्या है ?
था एक धोखा, तुम्हारा मिलना,
न समझा ये दिल, उल्फ़त बला है !!
बन्द तीन—
क़रार पाये, तुझ को देखें,
न देखा जब से, उदासी छाई !
अगर वफ़ा थी, ज़रा भी हमसे,
न करते हमसे, तुम बेवफ़ाई !!
बन्द चार—
अनेक ठोकर, हम ने खाई,
मगर ना हमको, पुकारे यारा !
क़रीब से हम, ज़रा जो गुज़रे,
किया था तुमने, क्यों फिर किनारा !!