बेटियाँ
बेटियाँ
आज भी जब उदास होती हूं
बेटियों का बचपन याद करती हूं
हर लम्हा जी भर के जी लेती हूं,
वो मासूम चेहरा वो चुलबुली हरकतें
वो कलियों सी मुस्कान
नन्हे क़दमों की बरकतें,
बाप जब सीने से लगाए
ढेरों सुकून उसके अंदर उतर जाए
मां आंखों से लेती है उसकी बलाएं...
