बेटियाँ
बेटियाँ
परिवार की मान वो भी होती है,
रौशन घर का नाम वो भी करती है,
जो काम बेटे करते हैं
बेटियाँ भी वो सब करती है।
अभाव में वो भी रहती है,
संघर्षों में वो भी जलती है,
माँ बाप के सपने पूरे करने को
त्याग अपनी ख़ुशियों की वो भी
करती है।
पर हक़दार जिसकी वो रहती है
सम्मान उसे मिल न पाता है,
"होती है बेटियाँ पराया धन"
सभ्य समाज में यही बताया जाता है।
