बेटियाँ
बेटियाँ
घर सँवारती, घर सम्हालती, घर भी बनाती बेटियाँ ।
कौन है ऐसा काम जिसे ये , कर नहीं सकती बेटियाँ ।।
ऐसा कोई पद ही नहीं, जिसको न सुशोभित कर सकती,
चाहे सुरक्षा - सेवा शासन , देश चलाती बेटियाँ ।
गुड़िया बेटी , बढ़ती बेटी , पढ़ती बेटी , गढ़ सकती ,
बचपन से ही समझदार हो, आगे बढ़ती बेटियाँ ।।
पुत्री , बहना , अर्धांगनी , माँ , दादी बनती हैं बेटियां ।
मातृ - पितृ कुल ,सास- श्वसुर कुल ,सेवा करती बेटियाँ ।।
सुन्दरता की देवी बेटी, शील - मान - सम्मान है बेटी ।
करुणामयी है , ममतामयी है , प्यारी सबकी बेटियाँ ।।
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