सूर्योदय
सूर्योदय
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अरुण आभा से सुसज्जित , प्राची भूतल शान्त है ।
खिल रहे सरसिज सरों में , भ्रमर शायित क्लान्त है ।।
किरण रथ आरुढ़ दिनकर ,अरुण लोचन युक्त है ।
घूरकर है देखता तम को , धरा अब मुक्त है ।।
रवि किरण फैली चतुर्दिक, एक जैसी भूमि पर ।
जल- स्थल सागर-गिरि वन- शस्य जन्तु -कृमि पर।।
है यहाँ सुख- चैन समता ,शान्ति का साम्राज्य है ।
मात्र यह संयोग न , रवि नृपति का राज्य है ।।
आइये जल - अर्घ्य से स्वागत् करें रवि राज का ।
स्वगतम् है , स्वागतम् है , दिन-पति सुराज का ।।