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Indra narayan Rai

Inspirational

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Indra narayan Rai

Inspirational

राष्ट्रीय जन चेतना

राष्ट्रीय जन चेतना

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जन - जन में चेतना राष्ट्र में जब, होती सब चलते एक साथ।

सब एक साथ विपदा सहते, सब चिंतन करते एक साथ।।


सबकी धुन के लय एक तरह, सब एक लक्ष्य देखा करते।

सबके स्वर स्वतः एक होते, सब एक साथ जीते - मरते।।


चल पड़ता राष्ट्र का रथ पथ में, बस एक सारथी हाँक रहा

इस विषम घड़ी में कौन कहाँ, सब अगल - बगल से झाँक रहा।।


जब हो सवाल सब जन- जन के, जीवन - प्राणों का पल -पल में।

जब खतरे में यह जीवन- रथ, है फँसा जा रहा दल - दल में।।


तब बहरे - गूंगे स्वांग रचे, सब ध्यान लगाए रहते हैं।

सब एक बात सुनते, करते, सब एक बात ही कहते है।।


यह राजनीति, कभी धर्म नीति,कभी रोग - व्याधि-संकट छाते।

इन सबको  सहने  राष्ट्र के जन, सबके सब आगे हैं आते।।


परित्राण दिलाने जन - जन को,कोई होते प्रकट "कृष्णा" जैसे।

जन - जन में चेतना  जगती है, सुनकर मंगलमय  संदेशे।।


फिर शनैः शनैः फिरता है समय, दुष्कृति विनष्ट हो जाती है।

फिर वहीं लौट आता जीवन, फिर शांति वही छा जाती है।।


जब विषम घड़ी आती जग में, यह राष्ट्र सुरक्षित हो कैसे।

बिन राष्ट्रीय जन चेतना से, सुख - शान्ति  मिल सकते कैसे।।


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