बेटियाँ
बेटियाँ
आयु थी बहुत ही अल्प
पाँच साल पहले लिया था संकल्प
मन में आया एक विचार
हो रहे हैं बहुत अत्याचार
बन कर एक छोटी फरयादी
लड़ कर लाऊँगी बेटियों की आजादी
डर कर जीना तो है मरना
दुष्टों का काम तमाम है करना
कमजोर नहीं हूँ जो कि हारुँगी
एक-एक करके पापियों को मारुँगी
इन्सानियत की करते ये सारी हदें पार
ऐसे पापियों का जीना है बेकार
बेटियों की सुरक्षा के आगे जरुरी कुछ नहीं
ऐसे अपराधियों को फांसी हो तो ही सही
आत्मरक्षा की ट्रेनिंग मैंने है करी
सुरक्षित होंगी बेटियाँ
बेटियों की सुरक्षा ही सर्वोपरि
बेटियों को बनाऊँगी आत्मनिर्भर
दूर होगा उनका सारा संकोच व डर
स्कूल, कॉलेज में पढ़ाऊँगी
आत्मरक्षा का पाठ
दुष्टों को पड़ेगी मार
बेटियों की होगी ठाठबाट
हर बेटी है झांसी की रानी
बहुत मेहनती व बड़ी सयानी
तोड़ डालूँगी पुरानी व्यर्थ की रीत
डर के आगे ही होती है जीत
बेटियाँ नहीं होती बेटों से कम
इनकी सुरक्षा में लगा दूँगी सारा दमखम
बेटियाँ होती अनमोल रत्न
कमजोर मानसिकता का करो पत्तन
माता-पिता की होती हैं ये बहुत प्यारी
सुरक्षित बेटियों से ही है इज्जत हमारी
बेटियों का करो खूब मान व सम्मान
इससे ही तो बनेगा अपना देश महान