Rakesh Sahu
Abstract
कसूरवार तो नहीं किसी की
फिर भी गुनहगार हूं,
सिकायत तो नहीं किसी से,
फिर भी वही लाचार हूं ।
आजादी तो नहीं है जिंदेगी में
आज भी वही जंजीरों से बंधी हूं।
बोझ तो नहीं किसी पर
फिर भी अपनों के लिए परायी हूं,
क्यूंकि में एक बेटी हूं ।
वक़्त और यादे...
दफ़न
तुम्हारी याद
मेरी माँ सबसे...
मुसाफ़िर तू म...
हे वृक्ष !कित...
मत आना लाडो इ...
मैं और तुम
मैंं और तुम
तुम आज भी नही...
मैं शब्द कोष से निकला एक अक्षर हूँ शब्द में जुड़ता हूँ तो अपना अस्तित्व लेता हूं ! मैं शब्द कोष से निकला एक अक्षर हूँ शब्द में जुड़ता हूँ तो अपना अस्तित्व लेता...
हमारे समाज में महिला और पुरूष मे समानता होनी चाहिए। हमारे समाज में महिला और पुरूष मे समानता होनी चाहिए।
है हंसता वो तो अच्छा लगता है, भाई जैसा दोस्त वो सच्चा लगता है! है हंसता वो तो अच्छा लगता है, भाई जैसा दोस्त वो सच्चा लगता है!
सबने हमें अपना बनकर ही लूटा, किसी ने न दिया निःस्वार्थ खूंटा सबने हमें अपना बनकर ही लूटा, किसी ने न दिया निःस्वार्थ खूंटा
खेतों की हरियाली अच्छी लगती थी दोस्तों की यारी सच्ची लगती थी! खेतों की हरियाली अच्छी लगती थी दोस्तों की यारी सच्ची लगती थी!
मेरी बड़ी बहन, मुझे कुछ ज्यादा ही चाहती है! मेरी बड़ी बहन, मुझे कुछ ज्यादा ही चाहती है!
ख्यालों में पुलाव कोई पकाता है और उसमें नमक कोई और आकर डाल देता है! ख्यालों में पुलाव कोई पकाता है और उसमें नमक कोई और आकर डाल देता है!
दर्द कोई चुनता नहीं, बस ये तो सहना पड़ता है! दर्द कोई चुनता नहीं, बस ये तो सहना पड़ता है!
तुम नहीं समझे, एहसास की गहराई को। तुम नहीं समझे, एहसास की गहराई को।
चलते फिरते बुतों की बस्ती है सभी की अपनी अपनी मस्ती है चलते फिरते बुतों की बस्ती है सभी की अपनी अपनी मस्ती है
सामने तो हैं पर लोग दिखाई नहीं देते तनहाई का कुहरा बहुत घना हुआ है। सामने तो हैं पर लोग दिखाई नहीं देते तनहाई का कुहरा बहुत घना हुआ है।
ये क़ाश क्यूँ है -इसका ज़वाब तो नही फ़िर भी ये क़ाश ज़िंदगी है हमारी! ये क़ाश क्यूँ है -इसका ज़वाब तो नही फ़िर भी ये क़ाश ज़िंदगी है हमारी!
एक बार में बरस जाऊं, तो बादल किस काम का,। एक बार में बरस जाऊं, तो बादल किस काम का,।
मैंने भी कह दिया जाने दो सब कुछ हम हमारा कोई वास्ता नहीं है! मैंने भी कह दिया जाने दो सब कुछ हम हमारा कोई वास्ता नहीं है!
बीते इस लॉकडाउन के दरमियाँ, तुम संग खूब खेले। बीते इस लॉकडाउन के दरमियाँ, तुम संग खूब खेले।
ये सफर कहाँ जा रहा है मगर गम के साये से गुजर कर मेरा मुस्कुराना मुनासिब है ! ये सफर कहाँ जा रहा है मगर गम के साये से गुजर कर मेरा मुस्कुराना मुनासिब ...
भगतन बदे लिहली दुर्गा अवतार चला माई के शरण में भगतन बदे लिहली दुर्गा अवतार चला माई के शरण में
दोस्ती तू साखी खुद से कर ले चिंगारी को तू शोला कर ले दोस्ती तू साखी खुद से कर ले चिंगारी को तू शोला कर ले
देखा है वो वक़्त ज्ञानी, रुक जाती है जुबानी। सिल जाते होंठ जहाँ, स्वयं नाप-तोल में।। देखा है वो वक़्त ज्ञानी, रुक जाती है जुबानी। सिल जाते होंठ जहाँ, स्वयं नाप-तोल...
इशारे तुझे बहुत करेंगे, आने वाले सभी हालात ज़मीर से गिरे अगर, तो संभल कभी ना पाओगे इशारे तुझे बहुत करेंगे, आने वाले सभी हालात ज़मीर से गिरे अगर, तो संभल कभी ना प...