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Anshu Priya

Abstract Children Stories Children

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Anshu Priya

Abstract Children Stories Children

बेटी

बेटी

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नाज़ो से पलती है, लाडो कहलाती है।

बेटी जो हंसती है तो खुशियां छलकती है।


आंगन की फूलों से सुकुमारी कहलाती है,

जरा सा जो मुरझाए दिल को पिघलाती है ।


अरमानों को उसकी हम सर आंखों पर रखते हैं,

बिटिया जो कह दे हंस - हंस के दे देते हैं।


फूलों सी कोमल नन्ही सी गुड़िया है,

बेटी हमारी खुशियों की डलिया है।


मां की फटकार पिता की दुलार,

होती है इनसे बेटियां गुणवान।


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