बेटी का बाप हूँ ना
बेटी का बाप हूँ ना
देख ना लू बेटी को तब तक
नीद नहीं आती
बैठा रहता हूं चौखट पर जब तक
घर नहीं आती
फोन की तसल्ली कम रहती है बेटी का बाप हूँ ना
बेटी जान नहीं पाती
कहती है सो लिया करो नींद भर बाबा जब तक
मैं घर नहीं आती
भरोसा है बहुत उस पर मगर क्या करूँ
मुझमे हिम्मत नहीं आती
प्यार कैसा है मेरा बच्ची मुझे बच्चा समझती है
बस बता नहीं पाती
घुंघरू झंकाती फिरती थी मेरी आंखों से
वो यादें नहीं जाती
वन टू थ्री सिखाती थी गोद मे बैठकर, जैसे
मुझे गिनती नहीं आती
प्यार बढ़ता गया उम्र सा पर अमानत किसी की और
हमेशा रखी नहींं जाती
पीले हाथों की सोचकर रो पड़ता हूँ बेटी की बिदाई
मुझसे देखी नहींं जाती
जब तक जान न लूँ बिटिया ठीक है
नींद नहींं आती।