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Shreya Vij

Classics Inspirational

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Shreya Vij

Classics Inspirational

बेटी हूँ, फिरभी ऊँचा उड़ुंगी मैं

बेटी हूँ, फिरभी ऊँचा उड़ुंगी मैं

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देश का गौरव, 

पापा का गुरुर बनुंगी मैं,

बेटी हूँ, फिरभी ऊँचा उड़ुंगी मैं।


शिक्षा पाकर देश की उन्नति मे योगदान दूँगी, 

फौज मे भरती होकर देश के लिये बलिदान दूँगी मैं,

बेटी हूँ, फिरभी ऊँचा उड़ुंगी मैं।


पुराने विचारो की बेड़िया तोड़ आगे बढुँगी, 

माँ-बाप का नाम रोशन करुंगी मैं,

बेटी हूँ, फिरभी ऊँचा उड़ुंगी मैं।


चिकित्सक बन तुम्हारा जीवन बचाउँगी, 

अध्यापिका बन देश का भविष्य बनाउँगी,

बेटी हूँ, फिरभी ऊँची उड़ान लगाउँगी।


रोकलो तुम चाहे कितना भी,

अब बेटियाँ नही रूकेंगी, 

चार दिवारो में घूँघट के पिछे अब नही रहेंगी, 

आदमियो के कंधे से कंधा मिलाके आगे बड़ेंगी, 

बेटियाँ है, फिरभी ऊँचा उड़ेंगी।

 

आसमान तो दो, बेटियाँ भी पंख फहराएगी, 

नन्हे-नन्हे कदमों से बड़ी उँचाइय़ा लांघ जाएगी,

बेटी है तो क्या हुआ वह भी ऊँची उड़ान लगाएगी।


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