ऐ भगवान तूने कैसी ये दुनिया है बनाई!!
ऐ भगवान तूने कैसी ये दुनिया है बनाई!!
ऐ भगवान तूने कैसी ये दुनिया है बनाई,
एक घर है भाईचारा तोह दुसरे घर लड़ाई।
तेरी दुनिया का खेल भी है निराला,
एक घर छाए है दुखों के बादल तो दुसरे घर है दियों का उजाला।
तूने दुनिया की कैसी अजीब ये रीत है बनाई,
एक के नसीब मे है सूखी रोटी तो दुसरे मे ५६ भोग और मिठाई।
तेरे इंसान ने संसार का रुख पलट दिया,
हरी भरी सृष्टि को कॉन्क्रीट के जंगलो मे बदल दिया।
इस दुनिया से इंसानियत खो गई है,
क्रोध और घमंड के परदे मे कहीं छुप गई है।
फिरसे भाईचारे मे रहना सीखादे,
सब्र और नम्रता का पाठ पढ़ादे।
सिखादे हमे फिरसे दुसरो की मदद करना,
और दुखों मे उनके हमदर्द बनना।
क्यू ना उस घर मे भी दीप जलाए,
जिस घर मे दुखों के बदल है छाए।
फिरसे बाँट लेते एक दुसरे के गम,
मिलकर भरदेते हैं हर एक के जीवन मे नए रंग !