बेटा नहीं बेटी हूं
बेटा नहीं बेटी हूं
काबिलियत को तुम्हारी बेटो से किसी ने नापा तो जरूर होगा
अरे, कभी किसी ने तुमसे कहा तो जरूर होगा
कि तू बेटी सही बेटा है मेरे लिए कि तू बेटी नहीं बेटा है मेरे लिए,
क्यों क्या बेटी होना शर्मिन्दगी है हमारे लिए
पहचान बनाती थी मुझको बदलने का मन था
मैं बेटी बनकर भी सतुझण्ट बेटा बनाने की जरूरत न थी।
क्या बेटे ही सफल होगे ये नियम कहाँ से आया है
कैसे बन जाए हम बेटा जब
ईश्वर ने असल हमे बेटी ही बनाया है।
अस्तिदूत मिटाने को कोरा से पूरी दुनिया तैयार है पर
इसके मिट जाने पर मेरे स्वाभिमान को इनकार है।
तुमहरा बजूद मुझसे है मै जननी हूँ तेरी
मेरी पहचान बदले मर्जी है मेरा मेरी पहचान
अभिमान मेरे लिये मैं बेटी थी और बेटी ही हूं तेरे लिए।
