बदले हालात
बदले हालात
वो हालात कहाँ से लाऊँ
वो जज़बात कहाँ से लाऊँ
जो बयाँ कर दें हकीकत मेरी
वो अल्फ़ाज़ कहाँ से लाऊँ ।
है वही ज़ुबाँ मेरी
पर ये रुक क्यूँ गयी?
है वही नज़र मेरी
पर ये थम क्यूँ हुई ?
जिन आँखों में सजते थे
इंद्रधनुष कभी
कब फैल गयी उनमें
ये गहरी काली स्याही ?
कब सीख लिया मैंने
यूँ हालात से झुकना।
कब सीख लिया मैंने
यूँ घुट घुट कर जीना।
अच्छा था शायद
वो बचपना मेरा।
बड़ी महँगी पड़ी मुझे
मेरी ये उम्र दराज़ी।