बदलाव
बदलाव
एक नहीं दो बार आते है बदलाव,
किसी भी लड़की के जीवन में
पहला,जब वो बहू बनकर पराये
घर में जाती है
अनजान लोगों से घिरा स्वयं को
पाती है
धीरे-धीरे तालमेल से सबको
अपना बनाती है
अपने मधुर व्यवहार से ,
हर दिल अज़ीज़ बनती है
और दूसरा जब घर में बहू को
लाती है
बेटा भी अब थोड़ा तो लगता है पराया
बहू के नाज नख़रों को पड़ता है उठाना
घर के तौर तरीक़ों को पड़ता है सीखाना
अपनी दिनचर्या में करके थोड़ा बदलाव ,
बहू से करना होता है व्यवहार
थोड़ा थोड़ा दोनों बदल कर ,
बनाते हैं घर की बुनियाद
इसीलिए तो कहते हैं
एक नहीं दो बार आते हैं बदलाव।
