बचपन
बचपन
जिंदगी का मक्सद पता नहीं था,
लेकिन उसी बचपन में बहुत सुकून था।
जीतने की खुशी थी,
और हार ने का गम था,
लेकिन क्या पता वहीं बचपन सही था।
पापा की डांट में भी मजा था,
और हमने तो डांट खाने के बाद ही
सब कुछ सीखा था।
जिंदगी का मक्सद पता नहीं था,
लेकिन उसी बचपन में बहुत सुकून था।
जीतने की खुशी थी,
और हार ने का गम था,
लेकिन क्या पता वहीं बचपन सही था।
पापा की डांट में भी मजा था,
और हमने तो डांट खाने के बाद ही
सब कुछ सीखा था।