बचपन वाली होली
बचपन वाली होली
क्या किसी को याद है,
वो बचपन वाली होली।
थैली अबीर गुलाल की,
और यारो की टोली।
माँ के हाथ की गुजिया
और ना जाने कितने पकवान।
होली से पहले ही मच जाता था,
घर आंगन में घमासान।
गर्म मिठाई से मुंह जलाती,
छोटे बच्चों की टोली।
क्या किसी को याद है,
वो बचपन वाली होली।
थैली अबीर गुलाल की,
और यारो की टोली।
रंगे पुते चेहरों के संग
होली खेले गली-गली।
जिस जगह भी हम पहुँचते,
मच जाती थी खलबली।
आज जाने कहाँ गए वो दिन,
वो मस्ती की हमजोली।
क्या किसी को याद है,
वो बचपन वाली होली।
थैली अबीर गुलाल की,
और यारो की टोली।
