बचपन की हर बात निराली
बचपन की हर बात निराली
बचपन की होती है हर बात निराली,
हर रोज ही होली है हर रात दिवाली।
हर लालच हर छल हर कपट से दूर,
हर एक क्षण का आनंद लेते भरपूर।
मन निर्मल और पावन न कोई दुराव,
बच्चों का अति सरल है होता स्वभाव।
सदा करते सबके संग मनमोहक बातें ,
अति प्रिय होती है सूरत भोली -भाली।
बचपन की होती है हर बात निराली,
हर रोज ही होली है हर रात दिवाली।
कहते हैं सब इंसान तब तक है सच्चा,
प्रभु के करीब रहता जब है वह बच्चा।
बढ़ती उम्र सीखता है वह दुनिया दारी,
सरलता खोती आती है चालाकी सारी।
आती है वाणी में कर्कशता समय संग,
खो जाती है मधुरता वाली मीठी बोली।
बचपन की होती है हर बात निराली,
हर रोज ही होली है हर रात दिवाली।
समस्या रहित यह सब जग ही होगा,
कपट रहित-सच्चा जब हर जन होगा।
जब हर मन ही बच्चे सा अच्छा होगा,
जग का जन-जन सरल-सच्चा होगा।
हर ओर होगा प्रेम- प्यार का उजाला,
छंट जाएगी नफरत की रात ये काली।
बचपन की होती है हर बात निराली,
हर रोज ही होली है हर रात दिवाली।