बैरी हवा
बैरी हवा
बोसा तुम्हारा आज किसी ख़्वाब सा लगे
वो वक़्त आज भी वहीं ठहरा हुआ लगे
बिरहन के मारे दिल को भला और क्या लगे
नागिन सी आज बैरी ये काली घटा लगे
ठंढी हवाएं ,तारे हसीं रात खुशनुमा
चेहरा मगर क्यों चांद का उतरा हुआ लगे
कंकर ये किसने मारी है माज़ी की झील में
तूफ़ान दिल मे उठ रहा,बैरी हवा लगे
रस्ता तवील है तेरा मंज़िल भी दूर है
मेरे रक़ीब जा ,तुझे मेरी दुआ लगे
रिश्ता वफ़ा का आ गया है कैसे मोड़ पर
हैं साथ फिर भी दरमियां इक फासला लगे
मुद्दत के बाद देखा है मैंने जो आईना
हैरान मुझको देख के क्यों आईना लगे।