Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Deepa Gupta

Romance Fantasy

4.7  

Deepa Gupta

Romance Fantasy

बैरी चाँद

बैरी चाँद

1 min
486


ऐ चाँद तू क्यूँ है इतना खफ़ा ऐसी क्या हुई मुझसे ख़ता

क्यों तू मुझे इतना सताता है, रुलाता है

याद दिलाता है उसके साथ गुज़ारा हर लम्हा

तेरे आने पर उसका घर लौट आना ,

तुझे देखते हुए मुझसे बातें करना

पल पल उसका मेरे क़रीब आना

इन सितारों से मेरा श्रृंगार करना

जैसे मेरे सपनों की डोली में मुझे बैठना

तेरी सौगंध लेकर मुझसे ये वादा करना की


इस चाँद की चाँदनी की तरह मेरे साथ रहेगा

पर वो सभी पल बस याद बनकर रह गयी

मेरी आँखें उसकी राह तकती रह गयी 

पहले रहता था हर समय शाम होने का इंतजार 

जीने की चाह उसके लिए बढ़ती ही जाती थी 

पर उसके चले जाने से 

अब सब कुछ बदल गया है 

ऐ चाँद तेरी चमक अब फीकी लगती है 

तेरी शीतलता में भी अब जलन सी होती है 

ये सभी सितारे अब अंगारे नज़र आते है 

मेरी साँसे ही मेरा दम घोटने लगी है 

ये तेरा बैर था मुझसे या मेरी ज़िंदगी कि क़सूर 

की वो चला गया मुझसे इतनी दूर



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance