नारी
नारी
ऐ नारी तेरी जुदा सी कहानी
जन्म के पहले ही तूने कितनी झेली परेशानी
बचपन से ही अपनो ने भेदभाव किया
पराए घर जाना है ये सोच कर हिसाब किया
बेटों के बराबर कह कर पल भर में जुदा किया
बैठा कर डोली में किसी अनजान को सौंप दिया
नए घर में सब कुछ दिखावा सा था
क़िस्मत को ना जाने मंज़ूर भी क्या था
इतने साल दे कर भी घर अंजाना सा था
अब भी दिल में उमंगो का ख़ज़ाना सा था
कमजोर नहीं , हारी नहीं , हिम्मत अभी बाक़ी है
कुछ कर दिखने का जज़्बा तुझमें अभी बाक़ी है
देर नहीं शुरुआत है ये
चलती साँसों की पुकार है ये !