बाप
बाप
क्योंकि उन्हें किसी ने रोते हुए नहीं देखा
शायद आँसुओं को सबसे छुपाया होगा
जब मजबूरियों की पहचान बनानी होगी
तब उस खुदा ने एक बाप को बनाया होगा
जो दिखाता नहीं अपनी तकलीफें कभी
पर उसका दिल भी खूब जानता है
उसका परिवार सिर्फ उसके बलबूते हैं
वो सभी को अपनीं जिम्मेदारी मानता है
बेटों को जायदाद सौपें बेफिक्र हो जाए
ना चाहकर बेटी को पराए घर भेजता है
सोचा बूढ़ापे में बीवी को कुछ वक्त दूंगा
पर तब विद्धा आश्रम का दिन देखता है
खुशियों को अपनों पे कुरबान कर
लोगों को चैन की नींद सुलाता है
ताउम्र बच्चों के लिए जीता है और
इसलिए रिश्तों में वो बाप कहलाता है
जो कभी किसी के सामने कमजोर ना था
वह बेटों के सामने कमजोर हो जाता है
जिन आँसूओं को छुपाएँ रखा उम्र भर
अब सभी के सामने छलक जाता है