बाप बेशक़ ग़रीब है
बाप बेशक़ ग़रीब है
बाप बेशक़ मेरा ग़रीब है।
बड़ा दिल का शरीफ़ है।।
जो हर वक़्त साथ खड़ा है।
बेहद दिल के क़रीब है।।
भूखा नहीं सोने देता हमें।
सच में आदत अजीब है।।
हर निवाले पे जो खाते हैं।
उनका मेहनत रसीद है।।
शुक्र गुजार हूँ उस रब का।
"रहमत" बेहतर नसीब है।।