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शेख रहमत अली "बस्तवी"

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शेख रहमत अली "बस्तवी"

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मुस्कुराना चाहता हूँ

मुस्कुराना चाहता हूँ

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गुनगुनाना चाहता हूँ

मुस्कुराना चाहता हूँ।

दिल में तेरे एक छोटा

घर बनाना चाहता हूँ।

उम्र सारा गोद में रख

समय बिताना चाहता हूँ।

प्यार में तक़दीर मेरा

आजमाना चाहता हूँ।

इश्क़ में तेरे ज़माना

भूल जाना चाहता हूँ।



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