बालू से तपते दिलों में
बालू से तपते दिलों में
आओ साथी फिर जगायें
सोया मन विश्वास,
विद्रूप से बीझे मनों में
लायें बासंती मधुमास।
ऐसा कोई जतन करें
नाचे मन ज्यों मोर,
गाल गुलाबों से खिले
चाहत चांद चकौर।
फिर तलाशें नई ऋचाएं
नव जीवन आकाश,
गढें नई जीवन परिभाषाएं
जागे मन में सांस।
आओ ऐसा जतन करें
गूंजे गीत ज्यों कोयल कूके,
मन उम्मीदें दौडे हरिण-सी
वक्त गुजरे ज्यों हवा छू के।
आओ ढूंढें मन हरियाली
दफन करें संत्रास,
मन-पियानों संग बजायें
धक-धक दिल आभास।
आओ ऐसा जतन करें
फैले मेंहदी, चंपा, रानी
खुशियों की गुलाल उडायें
संग प्यार के पानी।
इस बसंत की हर सुबह
भरे नया उल्लास,
बालू से तपते दिलों में
फैले बासंती हास।
तितली फुदके, भौंरे गाये
गूंजे राग मल्हार,
बीन संग लहराती नागिनें
दुःख नाव ज्यों सुख पतवार।
आओ साथी फिर सजायें
बिखरी खुशियों की घास,
पीड़-जूझ के नमदे पर उगेगा
एक नया विश्वास।