बाकी हैं
बाकी हैं
बसा लिया सौ आशियाँ मोहलत-ए-सियासत से ,
मगर भुगतने को ऐ सियासतजाँ अंज़ाम बाक़ी हैं !!
बस भागते रहना ही नहीं ज़िंदगी तेरी,
किसी के काम आने के लिए मक़ाम बाक़ी हैं !!
बसा लिया सौ आशियाँ मोहलत-ए-सियासत से ,
मगर भुगतने को ऐ सियासतजाँ अंज़ाम बाक़ी हैं !!
बस भागते रहना ही नहीं ज़िंदगी तेरी,
किसी के काम आने के लिए मक़ाम बाक़ी हैं !!