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Kavita Jha

Inspirational Others

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Kavita Jha

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बाहरी दुनिया

बाहरी दुनिया

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कैद जब तक रही, दुख हर पल सही।

आजाद पिंजरे से हो, भरने को हैं उड़ान ।।

खुला नभ प्रिय लगा, मन में उमंग जगा।

बाहरी दुनिया लगी, कुछ पल तो महान।।

पंख थक चला आज, जिस पर उसे नाज।

आदत ही छूट गई, रहा पिंजरा जहान।।

अजनबी लगे लोग, पंखों में भी लगा रोग।

जीवन ये है ही ऐसा, दुनिया ने दिया ज्ञान।।


( कृपाण घनाक्षरी के नियमों को ध्यान में रखकर लिखने की कोशिश.. )


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