STORYMIRROR

Jagrati Verma

Inspirational

4  

Jagrati Verma

Inspirational

हिंदी

हिंदी

1 min
357

तुमने ख्वाब बुनें हैं हिंदी में

तुमने जज्बात सुनें हैं हिंदी में

रिश्ते कई है तुम्हारे यहाँ

पर तुमने अपने चुनें हैं हिंदी में


तुम्हारी रगो में बहता खून हिंदी में

तुम्हारी जीत, तुम्हारे जश्न, तुम्हारा जुनून हिंदी में

तुम्हारे ख्वाब हिंदी में

तुम्हारी परवाज़ हिंदी में


तुमने जो पहला शब्द कहा था वो हिंदी मे था

जो तुम आखिरी कहोगे बेशक हिंदी होगा

फिर बीच में यह पाबंदी क्यों? 

हर बार शरमिंदा हिंदी क्यों? 


तुम्हारी मिट्टी की सौंधी महक हिंदी मे

तुम्हारे अरमानों की खनक हिंदी में

तुम्हारी खुशियाँ, तुम्हारे रंग, 

तुम्हारे त्योहारों की चमक हिंदी में


तुम्हारा नाम हिंदी में

तुम्हारी पहचान हिंदी में

तुम्हारे गालों पर लुढ़कते आंसुओं से लेकर

तुम्हारे ओंठो पर सजी मुस्कान हिंदी में


फिर क्यों कोई बाहर से आया हुआ तुम्हें चुप करा गया

इस सादी सी हिंदी को किसी आडंबर तले दबा गया

इस चुप्पी पर रज़ामंदी क्यों ? 

हर बार शर्मिंदा हिंदी क्यों ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational