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RAJNI SHARMA

Inspirational

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RAJNI SHARMA

Inspirational

प्रवासी

प्रवासी

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देह अलग है ईश्वर का वास है,

क्या हुआ हम यदि प्रवास है,

तन से दूरी है मन में राष्ट्रवाद है,             

अपना इंसानियत ही संवाद है।।


हम सभ्यता को विश्व में फैलाते हैं,

मन कर्म वचन से देशप्रेम निभाते हैं,

आगे बढ़ने की निवेश राहें बनाकर ,

विकास में सहायक बन जाते हैं।।


देश की दुनिया में पहचान बनाते हैं,

कारोबार के लिए विश्वास से शान है,

विकास हित के लिए प्रवासी का सम्मान है,

निवेश के लिए प्रेरित करने का अरमान है।।


नवीनतम अनुभवों के स्वागत से,

व्यापार के लिए नव निर्माण रचते हैं,

पुरस्कृत कर बेहतरीन प्रवासी का,

आत्मनिर्भर हेतु उत्साहित करते हैं।।


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