वाह बनारस !
वाह बनारस !
मंदिरों कि घंटियों से गूँजता है बनारस
साधुओं के 'ऊँ' से रमता है बनारस
दशांगों के धुँएं से महकता है बनारस
गायों के रंभाने से जगता है बनारस
गंगा के घाटों पर झूमता है बनारस
घाटों कि सीढ़ियों से उतरता है बनारस
सकरी तंग गलियों में चहकता है बनारस
पानों के बीड़ों से गमकता है बनारस
कचौड़ी - जलेबी के कड़ाहों में छनता है बनारस
लस्सी के पुरवों से छलकता है बनारस
भांगों कि बूटियों में घुटता है बनारस
ठंडई के गिलासों से चढ़ता है बनारस
लंगड़े को भी आम का राजा बनता है बनारस
पहलवानों को अखाड़े में छकाता है बनारस
बुनकरों के लूँमों से निकलता है बनारस
बनारस कि साड़ियों से सजाता है बनारस
कण - कण से शिवलिंग उगाता है बनारस
पूरी नगरी को शिवमय बनाता है बनारस
सबसे "हर - हर महादेव" कहलाता है बनारस
मस्ती को और मस्त कराता है बनारस
खुश हो कर साधुमय हो जाता है बनारस
कला को नया आयाम दिलाता है बनारस
संस्कृति को गंगा - जमुनी बनाता है बनारस
वरुणा से अस्सी में समाता है बनारस
गंगा में और भी ज़यादा गहराता बनारस
जलती चिता को ठंडक दिलाता है बनारस
मिटटी को भी चन्दन बनाता है बनारस
हर एक को मुक्ति दिलाता है बनारस
सीधे सबको स्वर्ग ले जाता है बनारस
कभी काशी तो कभी वाराणसी हो जाता है बनारस
ये मेरा बनारस ये तुम्हारा बनारस
दुनियाँ से अलग है हमारा बनारस
वाह बनारस.......वाह वाह बनारस !