बादल भी ना आते हैं
बादल भी ना आते हैं
बढ़ती धूप बिखरती धूप बादल भी ना आते हैं ।
हो क्या गया इन बादल को धरती पर ना बिखरते हैं।।
बढ रहा दिन प्रतिदिन यह पेड़ों पर अत्याचार,
फिर कैसे होगी धरती पर बादलों का फुहार।
अब मौसम में बस ओस टपकते
ना होती है अब बादलों की किलकार।
बढ़ती धूप बिखरती धूप बादल भी ना आते हैं।।
