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Nalini Mishra dwivedi

Abstract

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Nalini Mishra dwivedi

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बाबुल मेरा मायका छूटा जाय रे

बाबुल मेरा मायका छूटा जाय रे

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बाबुल मेरा मायका छुटा जाय रे।

वो पनघट का पनिया

वो आम की बगिया

वो बचपन की सखिया

सबसे अंखियों से ओझल होता जाय रे।

बाबुल मेरा मायका छुटा जाय रे।


वो दादी की लोरिया

वो बाबा की कहानियां

वो माँ के आचल की छईया

वो पापा की जादू की पूड़िया 

सबसे नाता टूटा जाय रे।

बाबुल मेरा मायका छुटा जाय रे ।


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